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Ghalib Badnaam

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“ग़ालिब बदनाम” महशूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब के जीवन को अद्भुत तरीके से बयां करती है। इसमें ग़ालिब खुद अपनी कहानी कह रहे हैं। वे कौनसी वजहें थी जिनसे उन्हें कभी अंग्रेजो का वफादार तो कभी अलग अलग बातों से बदनाम किया गया। वेदप्रकाश काम्बोज की कलम हमें उस दुनिया में ले जाती है जहाँ ग़ालिब अपने सारे पन्ने खोलते हैं।

18 साल की उम्र में पहला जासूसी उपन्यास लिखकर लोकप्रिय साहित्य में सिक्का जमाने वाले वेदप्रकाश काम्बोज ने सैकड़ों जासूसी उपन्यास लिखे और साठ-सत्तर के दशक में रघुनाथ-विजय जैसे चरित्रों को यादगार बना दिया। अपनी दूसरी पारी में उन्होंने जासूसी इलाका छोड़ा, ऐतिहासिक विषयों पर लिखना शुरू कर दिया ।

हाल में आई ‘ ठग फिरंगिया ‘ ठगी प्रथा पर कथा के जाल में बुनी गई अनूठी रिसर्च की मिसाल है ।

‘ग़ालिब बदनाम’ की शैली मिर्ज़ा ग़ालिब की ही तरफ से लिखे गए बयान की तरह है जिसमें कुछ अनछुए पहलुओं की परतें खुलती हैं।

दिलचस्पी बनाये रखने में माहिर लेखक की यह अपने तरह की पहली और पठनीय पेशकश है ।

Additional information

Weight 300 g
Dimensions 14 × 21.50 × 2 cm
Binding

Paperback

Language ‏

Hindi | हिंदी

Number of Pages

256

Publisher

Antara Infomedia Pvt. Ltd.

ISBN-13

978-81-953354-2-8

Author

Ved Prakash Kamboj